हिमालय की तलहटी में विराजमान, पशुपतिनाथ मंदिर दुनिया भर के हिंदूओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर सदियों से आस्था का केंद्र रहा है। आइए, इस पवित्र धाम के इतिहास, स्थापत्य कला, देवता, पुजारियों, परंपराओं और विवादों पर विस्तार से चर्चा करें।
इतिहास (History)
पशुपतिनाथ मंदिर का इतिहास प्राचीन और रहस्यमय है। मंदिर के निर्माण का कोई लिखित प्रमाण नहीं मिलता है। हालांकि, पुराणों और किंवदंतियों में कई उल्लेख मिलते हैं। कुछ का मानना है कि यह मंदिर 400 ईसा पूर्व का है, जबकि अन्य इसे और भी प्राचीन मानते हैं।
- पुराणों में उल्लेख: शिव पुराण और स्कंद पुराण में पशुपतिनाथ मंदिर का उल्लेख मिलता है। इन पुराणों के अनुसार, यह स्थान कैलाश पर्वत का एक हिस्सा है, जो भगवान शिव का निवास स्थान है।
- लिच्छवी वंश काल: ऐतिहासिक साक्ष्य बताते हैं कि लिच्छवी वंश (300 ईसा पूर्व से 12वीं शताब्दी ईस्वी) के शासनकाल में इस मंदिर का जीर्णोद्धार और विस्तार किया गया था। मंदिर परिसर में मिले शिलालेखों से इसका पता चलता है।
- मल्ल राजवंश: मल्ल राजवंश (12वीं से 18वीं शताब्दी ईस्वी) के शासनकाल में भी मंदिर का काफी विकास हुआ। इस दौरान कई राजाओं ने मंदिर की मरम्मत और सजावट करवाई।
स्थापत्य कला (Architecture)
पशुपतिनाथ मंदिर का स्थापत्य कला शैली भारतीय उपमहाद्वीप के मंदिर निर्माण की परंपरा को दर्शाती है। मंदिर परिसर में कई मंदिर, मठ, धर्मशालाएं और घाट हैं।
- मुख्य मंदिर: पगोडा शैली में बना मुख्य मंदिर दो मंजिला है। शिखर पर सोने का जलपत्र चढ़ा हुआ है। गर्भगृह में काले ग्रेनाइट से बना हुआ चतुर्मुखी शिवलिंग विराजमान है। केवल कुछ चुनिंदा पुजारी ही गर्भगृह में जाकर शिवलिंग को स्पर्श कर सकते हैं।
- वास्तु कला: मंदिर का निर्माण वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों के अनुसार किया गया है। विभिन्न मंडपों और प्रवेश द्वारों की व्यवस्था दर्शनार्थियों के लिए सुगम दर्शन का मार्ग प्रशस्त करती है।
- घाट: पशुपतिनाथ मंदिर के पास पवित्र बागमती नदी बहती है। नदी के किनारे कई घाट हैं, जिनका उपयोग अंतिम संस्कार के लिए किया जाता है। ये घाट मृत्यु और जीवन के चक्र का प्रतीक माने जाते हैं।
देवता (Deity)
पशुपतिनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। शिव को “पशुपतिनाथ” के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है “पशुपति” यानी सभी प्राणियों के स्वामी। शिव को सृष्टि का विनाशक और पुनर्निर्माणकर्ता दोनों माना जाता है।
- शिवलिंग: मंदिर के गर्भगृह में विराजमान चतुर्मुखी शिवलिंग भगवान शिव का प्रतीक है। चारों मुख ब्रह्मा, विष्णु, रुद्र और ईशान को दर्शाते हैं।
- अन्य देवता: मंदिर परिसर में भगवान गणेश, पार्वती, हनुमान और अन्य देवी-देवताओं की भी छोटी मूर्
पुजारी (Priests)
पशुपतिनाथ मंदिर में दैनिक पूजा-अर्चना का कार्य दो प्रमुख पुजारी समूहों द्वारा किया जाता है – भट्ट (Bhatta) और राजभंडारी (Rajbhandari)।
- भट्ट (Bhatta):
- भट्ट दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य से आने वाले उच्च शिक्षित वैदिक द्रविड़ ब्राह्मण विद्वान होते हैं।
- पशुपतिनाथ मंदिर में पुजारी बनने के लिए वंशावली का कोई महत्व नहीं है। योग्यता ही सर्वोपरि मानी जाती है।
- भट्टों का चयन श्री शंकराचार्य दक्षिणामनाय पीठ, श्रृंगेरी द्वारा प्रशिक्षित विद्वानों में से किया जाता है। चयन प्रक्रिया में कठोर परीक्षाएं ली जाती हैं, जिसमें वेदों और शिव आगमों का गहन ज्ञान परखा जाता है।
- केवल भट्ट पुजारी ही शिवलिंग को स्पर्श कर सकते हैं और दैनिक पूजा-अर्चना का संचालन कर सकते हैं।
- राजभंडारी (Rajbhandari):
- राजभंडारी स्थानीय नेपाली समुदाय से आते हैं। ये पुजारी भट्टों के सहायक के रूप में कार्य करते हैं।
- राजभंडारी मंदिर के रख-रखाव और साफ-सफाई का ध्यान रखते हैं। इन्हें पूजा-अर्चना करने या शिवलिंग को स्पर्श करने का अधिकार नहीं होता।
प्रवेश (Entry)
पशुपतिनाथ मंदिर गैर-हिंदू दर्शनार्थियों के लिए भी खुला है। हालांकि, कुछ क्षेत्रों, जैसे कि गर्भगृह, केवल हिंदू धर्मावलंबियों के लिए ही सुलभ हैं। मंदिर प्रवेश करने के लिए प्रवेश शुल्क देना होता है।
- पंक्ति (Queue): मंदिर में दर्शन के लिए आमतौर पर लंबी صف (पंक्ति) लगती है। विदेशी दर्शनार्थियों के लिए अलग से भी पंक्ति व्यवस्था हो सकती है।
- पोशाक (Dress Code): मंदिर में प्रवेश के लिए सम्मानजनक पोशाक पहनना आवश्यक है। बहुत छोटे कपड़े या अत्यधिक खुले कपड़े पहनकर प्रवेश की अनुमति नहीं है।
अभिषेक (Abhisheka)
पशुपतिनाथ मंदिर में भगवान शिव का विशेष पूजन “अभिषेक” के रूप में किया जाता है। अभिषेक में पवित्र जल, दूध, दही, शहद, घी, फल और फूल आदि से शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है।
- विधि (Process): अभिषेक करने के लिए पुजारियों की सहायता ली जा सकती है। पुजारी मंत्रों का उच्चारण करते हुए शिवलिंग का अभिषेक करवाते हैं।
- महत्व (Importance): माना जाता है कि अभिषेक करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है।
त्यौहार (Festivals)
पशुपतिनाथ मंदिर हिंदू धर्म के कई महत्वपूर्ण त्योहारों का केंद्र होता है। इनमें से कुछ प्रमुख त्योहार हैं:
- ** महाशिवरात्रि:** यह शिवरात्रि का सबसे बड़ा उत्सव है। इस दिन हजारों श्रद्धालु मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। रात भर भजन-कीर्तन और पूजा-अर्चना का आयोजन होता है।
- छठ पर्व: यह सूर्य देव को समर्पित एक महत्वपूर्ण पर्व है। इस दौरान श्रद्धालु बागमती नदी के तट पर विशेष पूजा करते हैं।
- हरितालिका तीज: यह महिलाओं का प्रमुख त्योहार है। इस दिन महिलाएं भगवान शिव और पार्वती की पूजा करती हैं और सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मांगती हैं।
- बोलबम मेला: यह मेला सावन के महीने में लगता