प्रदोष व्रत, जिसे प्रदोषम भी कहा जाता है, भगवान शिव और देवी पार्वती की उपासना के लिए समर्पित एक महत्वपूर्ण हिन्दू उपवास और त्योहार है। यह व्रत प्रत्येक मास के त्रयोदशी तिथि (तेरहवें दिन) को मनाया जाता है और विशेषकर संध्या काल में मनाया जाता है, इसलिए इसे प्रदोष व्रत कहा जाता है।
प्रदोष व्रत की कथा
प्रदोष व्रत, हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखने वाला एक व्रत है जो भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित है। इस व्रत का पालन करने से मान्यता है कि भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में समृद्धि और सुख-शांति मिलती है।
प्रदोष का अर्थ होता है ‘अंधकार के समय’। इस व्रत का विशेष अर्थ इसी बात में छुपा है कि यह व्रत सूर्यास्त के समय, जब रात्रि का प्रारम्भ होने वाला होता है, किया जाता है। इस समय भगवान शिव की पूजा और व्रत करने से अत्यंत फल प्राप्त होता है।
इस व्रत के पीछे एक कथा भी है, जो इसे और भी महत्वपूर्ण बनाती है। एक बार देवी पार्वती ने अपने पति भगवान शिव से पूछा कि कौन सा व्रत सर्वश्रेष्ठ है, जिससे मानव जीवन में सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त हो सके। उन्होंने भगवान शिव से यही उत्तर पाया कि ‘प्रदोष व्रत’ ही सर्वोत्तम है।
व्रत के अगले दिन उन्होंने इसे कठिन परिश्रम के साथ पाला और विशेष भक्ति से भगवान शिव की पूजा की। इससे उन्हें भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त हुई और उन्हें अशीर्वाद मिला कि जो भी व्यक्ति प्रदोष व्रत करेगा, उसे उनकी कृपा सदैव प्राप्त रहेगी।
इस प्रकार, प्रदोष व्रत भगवान शिव और देवी पार्वती की कृपा, सुख-शांति और समृद्धि का प्रतीक है। इसे समर्पित करके व्यक्ति अपने जीवन में नेगेटिविटी को दूर कर सकता है और ध्यान में स्थिरता प्राप्त कर सकता है।
प्रदोष व्रत की दूसरी कथा राजा चंद्रसेन से संबंधित है। राजा चंद्रसेन भगवान शिव के परम भक्त थे। एक बार, उनके राज्य में संकट आया और उनके शत्रु उनसे युद्ध करने के लिए तैयार हो गए। राजा चंद्रसेन ने भगवान शिव की आराधना की और प्रदोष व्रत किया। भगवान शिव उनकी भक्ति से प्रसन्न हुए और उनके राज्य की रक्षा की। इस प्रकार, प्रदोष व्रत की महिमा चारों दिशाओं में फैल गई।
प्रदोष व्रत का महत्व
- भगवान शिव और देवी पार्वती की कृपा प्राप्त करने के लिए।
- सभी प्रकार के दुखों और कष्टों से मुक्ति।
- धन, स्वास्थ्य और समृद्धि में वृद्धि।
- पारिवारिक सुख और सौभाग्य की प्राप्ति।
कब मनाएं प्रदोष व्रत
प्रदोष व्रत हर महीने के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। अगर यह सोमवार को पड़ता है तो इसे सोम प्रदोष, मंगलवार को पड़ने पर भौम प्रदोष और शनिवार को पड़ने पर शनि प्रदोष कहा जाता है। ये सभी प्रदोष व्रत अपने-अपने महत्व और लाभों के लिए प्रसिद्ध हैं।
प्रदोष व्रत की विधि
- प्रातःकाल स्नान और शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक जलाएं।
- धूप, पुष्प, फल, और बेलपत्र चढ़ाएं।
- महामृत्युंजय मंत्र और शिव मंत्रों का जाप करें।
- संध्याकाल में शिव मंदिर जाएं और भगवान शिव का अभिषेक करें।
- शिवपुराण का पाठ करें और शिव आरती करें।
- रात्रि को भगवान शिव की कथा सुनें या पढ़ें।
- दूसरे दिन प्रातःकाल पारण करें और गरीबों को भोजन कराएं।
क्या करें और क्या न करें
क्या करें:
- सकारात्मक सोच और अच्छे कर्म।
- भगवान शिव की उपासना और उनकी महिमा का गुणगान।
- दान-पुण्य करें और गरीबों की सहायता करें।
- शिव मंत्रों का जाप करें और ध्यान लगाएं।
क्या न करें:
- क्रोध, द्वेष और झूठ से बचें।
- नशा और मांसाहार का सेवन न करें।
- अहंकार और ईर्ष्या से बचें।
- किसी भी प्रकार की हिंसा से दूर रहें।
प्रदोष व्रत के लाभ
- आध्यात्मिक शांति और मानसिक संतुलन।
- विवाह में आने वाली बाधाओं का निवारण।
- स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं से मुक्ति।
- धन और समृद्धि में वृद्धि।
- पारिवारिक जीवन में खुशहाली और सौहार्द।
प्रदोष व्रत का पालन करने से भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है और भक्त के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है। यह व्रत न केवल आध्यात्मिक लाभ प्रदान करता है बल्कि सामाजिक और पारिवारिक जीवन में भी समृद्धि लाता है। भगवान शिव के आशीर्वाद से सभी भक्तों का जीवन मंगलमय हो।
प्रदोष व्रत की महिमा अनंत है और इसकी कथा व विधि को समझकर इसका पालन करना अत्यंत लाभकारी होता है। भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा सभी पर बनी रहे, यही शुभकामना है।
प्रदोष व्रत 2024 की तिथियाँ
- जनवरी 2024: 7 जनवरी (रविवार), 21 जनवरी (रविवार)
- फरवरी 2024: 5 फरवरी (सोमवार), 19 फरवरी (सोमवार)
- मार्च 2024: 6 मार्च (बुधवार), 19 मार्च (मंगलवार)
- अप्रैल 2024: 5 अप्रैल (शुक्रवार), 18 अप्रैल (गुरुवार)
- मई 2024: 5 मई (रविवार), 18 मई (शनिवार)
- जून 2024: 3 जून (सोमवार), 17 जून (सोमवार)
- जुलाई 2024: 3 जुलाई (बुधवार), 17 जुलाई (बुधवार)
- अगस्त 2024: 2 अगस्त (शुक्रवार), 16 अगस्त (शुक्रवार), 31 अगस्त (शनिवार)
- सितंबर 2024: 14 सितंबर (शनिवार), 30 सितंबर (सोमवार)
- अक्टूबर 2024: 14 अक्टूबर (सोमवार), 29 अक्टूबर (मंगलवार)
- नवंबर 2024: 12 नवंबर (मंगलवार), 28 नवंबर (गुरुवार)
- दिसंबर 2024: 12 दिसंबर (गुरुवार), 27 दिसंबर (शुक्रवार)
इन तिथियों पर प्रदोष व्रत का पालन कर भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त करें और अपने जीवन को सुख, शांति और समृद्धि से भरें।