सिटल षष्ठी, जिसे सैटाल षष्ठी भी कहा जाता है, हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है। यह भगवान शिव और देवी पार्वती के विवाह को समर्पित है और विशेष रूप से ओडिशा राज्य में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस लेख में, हम सिटल षष्ठी 2024 के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे, इसके पीछे की कहानी, त्योहार के दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, तथा अन्य प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा करेंगे।
साधी एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक त्योहार है जो भगवान शिव और देवी पार्वती के विवाह को समर्पित है। यह पर्व विशेष रूप से ओडिशा राज्य में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। सिथि साधी का महोत्सव 2024 में भी अत्यंत भव्यता के साथ मनाया जाएगा, जिसमें श्रद्धालु भगवान शिव और देवी पार्वती की दिव्य कथा और उनके विवाह का स्मरण करेंगे।
सिथि साधी की पौराणिक कथा
सिथि साधी का त्योहार भगवान शिव और देवी पार्वती की पौराणिक कथा पर आधारित है, जो उनके विवाह की महिमा और प्रेम की अमर गाथा को दर्शाती है। इस कथा की शुरुआत उस समय से होती है जब देवी सती, जो भगवान शिव की पहली पत्नी थीं, ने अपने पिता दक्ष के यज्ञ में आत्मदाह कर लिया था।
देवी सती के वियोग से भगवान शिव अत्यंत दुखी हो गए और उन्होंने सृष्टि से विमुख होकर तपस्या में लीन हो गए। इस बीच, संसार में असुरों का आतंक बढ़ता जा रहा था और देवताओं को उनकी शक्ति से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव की आवश्यकता थी। इसलिए, देवी सती ने पर्वतराज हिमालय और उनकी पत्नी मैना के घर में पार्वती के रूप में जन्म लिया।
देवी पार्वती ने भगवान शिव को पुनः पाने के लिए कठोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें स्वीकार किया और विवाह का प्रस्ताव रखा। इस प्रकार, भगवान शिव और देवी पार्वती का दिव्य विवाह सम्पन्न हुआ।
सिथि साधी का उत्सव
सिथि साधी के दौरान, विशेष रूप से संबलपुर क्षेत्र में, भगवान शिव और देवी पार्वती की भव्य प्रतिमाओं की शोभायात्रा निकाली जाती है। इस शोभायात्रा में सैंकड़ों भक्तगण शामिल होते हैं और विवाह समारोह का भव्य आयोजन होता है। पारंपरिक लोकगीत, नृत्य और संगीत इस त्योहार को और भी रमणीय बनाते हैं।
सिथि साधी के अनुष्ठानों में विभिन्न धार्मिक क्रियाएं शामिल होती हैं जैसे कि गणेश पूजा, देवी पार्वती की पूजन विधि, भगवान शिव की पूजा और उनके विवाह की रस्में। भक्तजन व्रत रखते हैं और विशेष प्रसाद तैयार करते हैं जो भगवान शिव और देवी पार्वती को अर्पित किया जाता है।
महत्व और मान्यताएँ
सिथि साधी का त्योहार केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह समाज में प्रेम, समर्पण और विवाह के पवित्र बंधन की महिमा को भी प्रकट करता है। यह त्योहार इस बात का प्रतीक है कि सच्ची श्रद्धा और तपस्या से किसी भी उद्देश्य को प्राप्त किया जा सकता है।
इस पर्व के दौरान, कई युवा दंपति भगवान शिव और देवी पार्वती से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पूजा करते हैं ताकि उनका वैवाहिक जीवन सुखमय और समृद्ध हो। सिथि साधी के पवित्र दिन पर किया गया विवाह भी अत्यंत शुभ माना जाता है और कहा जाता है कि इससे दंपति का जीवन सदा सुख-समृद्धि से परिपूर्ण रहता है।
प्रमुख घटनाएँ:
- देवी पार्वती की तपस्या:
- देवी पार्वती ने कठोर तपस्या की ताकि भगवान शिव उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करें।
- उनके तप की शक्ति ने भगवान शिव को प्रभावित किया, और अंततः उन्होंने पार्वती को दर्शन दिए।
- शिव और पार्वती का विवाह:
- भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हिमालय पर्वत पर हुआ था।
- इस विवाह को देवताओं, ऋषियों और अन्य दिव्य प्राणियों ने देखा था।
- सिटल षष्ठी का आयोजन:
- ओडिशा के संबलपुर जिले में सिटल षष्ठी का विशेष आयोजन होता है।
- यहाँ पर भगवान शिव और देवी पार्वती की मूर्तियों का विवाह समारोह आयोजित किया जाता है।
सिटल षष्ठी 2024 के आयोजन
सिटल षष्ठी का त्योहार 2024 में जून माह के पहले सप्ताह में मनाया जाएगा। इस दौरान लोग विशेष पूजा-अर्चना करते हैं, झांकियां निकालते हैं और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं।
जाने का समय:
- तारीख: सिटल षष्ठी का त्योहार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है।
- समय: इस वर्ष 2024 में यह त्योहार 5 जून को मनाया जाएगा।
स्थान:
- मुख्य स्थान: ओडिशा का संबलपुर जिला सिटल षष्ठी का मुख्य केंद्र है।
- अन्य स्थान: ओडिशा के अन्य जिलों और कुछ अन्य राज्यों में भी यह त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है।
क्या करें
- पूजा-अर्चना:
- भगवान शिव और देवी पार्वती की विशेष पूजा करें।
- पूजा में बेलपत्र, धतूरा, गंगा जल, दूध, दही, घी, शहद, और फूलों का प्रयोग करें।
- व्रत:
- इस दिन व्रत रखना शुभ माना जाता है।
- विशेष रूप से महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं।
- भजन-कीर्तन:
- शिव-पार्वती के भजनों और कीर्तन का आयोजन करें।
- इस दौरान शिव-पार्वती के विवाह की कथाएँ सुनें और सुनाएं।
- सांस्कृतिक कार्यक्रम:
- नृत्य, संगीत, और नाट्य प्रस्तुतियों का आयोजन करें।
- बच्चों के लिए प्रतियोगिताओं का आयोजन करें।
- शिव-पार्वती की झांकी:
- सिटल षष्ठी के अवसर पर भगवान शिव और देवी पार्वती की भव्य झांकियां निकाली जाती हैं।
- इन झांकियों में विभिन्न पौराणिक घटनाओं का प्रदर्शन किया जाता है।
क्या न करें
- अशुद्धता:
- पूजा के दौरान किसी भी प्रकार की अशुद्धता न फैलाएं।
- स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें।
- अपराध और झगड़े:
- इस पवित्र अवसर पर किसी भी प्रकार का अपराध या झगड़ा न करें।
- अपने परिवार और समाज में शांति बनाए रखें।
- मांसाहार और मद्यपान:
- इस दिन मांसाहार और मद्यपान से दूर रहें।
- शुद्ध और सात्विक भोजन करें।
- अवहेलना:
- इस पवित्र त्योहार की अवहेलना न करें।
- इस दिन को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाएं।
सिटल षष्ठी के प्रमुख आकर्षण
- शिव-पार्वती विवाह समारोह:
- इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती के विवाह की विशेष झांकी निकाली जाती है।
- स्थानीय लोग इस अवसर पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं।
- विशेष पूजा और हवन:
- मंदिरों में विशेष पूजा और हवन का आयोजन किया जाता है।
- भक्तगण बड़ी संख्या में एकत्र होकर भगवान शिव और देवी पार्वती की आराधना करते हैं।
- सांस्कृतिक प्रस्तुतियां:
- नृत्य, संगीत, और नाटकों की प्रस्तुतियां होती हैं।
- बच्चों और युवाओं के लिए विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है।
- मेले और बाजार:
- इस अवसर पर विभिन्न स्थानों पर मेले और बाजार लगते हैं।
- लोग खरीदारी करते हैं और विभिन्न स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद लेते हैं।
निष्कर्ष
सिटल षष्ठी भगवान शिव और देवी पार्वती के पवित्र विवाह का प्रतीक है। यह त्योहार हमें भक्ति, प्रेम, और समर्पण का संदेश देता है। इस अवसर पर विशेष पूजा, व्रत, भजन-कीर्तन, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन कर हमें अपनी परंपराओं और संस्कृति को सहेजना चाहिए। सिटल षष्ठी 2024 को हर्षोल्लास के साथ मनाएं और भगवान शिव और देवी पार्वती की कृपा प्राप्त करें।